सांस की बीमारी (sans ki bimari ka ilaaj) आज के समय में एक आम बात बन गई है और धीरे-धीरे इस बीमारी के मरीज बढ़ रहें हैं। ये सब गलत खानपान और ख़राब जीवनशैली के कारण हो रहा है। देश में धीरे-धीरे प्रदुषण बढ़ता जा रहा है जिसके कारण भी अस्थमा (Dama disease) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
दमा (Asthma) को समझने के लिए सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि जब आप सांस या श्वास लेते है तो क्या होता है। आप जब भी साँस लेते हैं तो हवा आपके नाक व मुंह से होकर गले और गले से वायुमार्ग होकर फेफड़ों में पंहुचती है। फेफड़ों के भीतर कूपिकाएँ या वायुकोष्टिकाएँ (Alveoli) पायी जाती हैं जो हवा से ऑक्सीजन को अलग करके उसे रक्त तक पहुँचाने में सहायता करती है।
दमा (Asthma) या साँस की बीमारी (sans ki problem) एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को सांस लेने में समस्या होती है। इस बीमारी में हमारे शरीर में जो वायुमार्ग या श्वासनली होती है उसमें सूजन आ जाती है या उसके आसपास की मांसपेशियां खींच जाती है अथवा वायुमार्ग में बलगम भर जाता है जिसके कारण रोगी सांस नहीं ले पाता है।
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अस्थमा अथवा दमा क्या है? (What is Asthma in Hindi)

Dama kya hai ya Asthma kya hota hai ya Sans ki bimari kya hoti hai
दमा (Asthma) एक प्रकार का श्वशन मार्ग (respiratory tract) में सूजन वाला रोग है। इसके आम लक्षणों में घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और श्वसन में समस्या शामिल हैं। ये लक्षण तब होते हैं जब वायुमार्ग की परत सूख जाती है और उसकी मांसपेशियां कश जाती है। कभी–कभी वायुमार्ग में बलगम भर जाता है जिसके कारण वहां से गुजरने वाली हवा (सांस) की मात्रा कम हो जाती है।
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यह बीमारी कई बार बचपन में ही शुरू हो जाती है और लगभग दस में से एक बच्चा इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है। अस्थमा या दमा के रोगियों के लिए सबसे पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस बीमारी के कारण उत्पन्न बलगम को जितना जल्दी हो सके फेफड़ों (Lungs) से बाहर निकलना चाहिए। इससे रोगी को तुरंत आराम मिल जाता है।
आयुर्वेद में दमा या अस्थमा (Asthma in Ayurved in Hindi)
Ayurved me Asthma Ayurved me dama in Hindi
दमा या अस्थमा को आयुर्वेद में तमक श्वास (bronchial asthma) कहा जाता है। यह रोग वात एवं पित्त दोषों में असंतुलन के कारण उत्पन्न होता है। इस रोग में श्वास नलिका संकुचित हो जाती है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है और छाती में भारीपन अनुभव होता है।
यह एक प्रकार का दूषित कफ से उत्पन्न होने वाला विकार है जिसमे कफ या बलगम फुफ्फुस या श्वास नलिका में आ जाता है और दमा या तमक श्वास का कारण बनता है।
दमा के लक्षण (Symptoms of Asthma in Hindi)

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दमा अथवा अस्थमा के लक्षणों की बात करें तो सबसे पहले सांस लेने में परेशानी है। इसके अतिरिक्त और बहुत सारे अलग लक्षण भी होते हैं। इसके अन्य लक्षणों में खांसी चलना, घबराहट होना, सांस लेने में परेशानी होना और सीटी की आवाजें आना आदि है।
दमा से ग्रसित हर व्यक्ति इन लक्षणों का अनुभव नहीं करता है। आपके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको किस प्रकार का दमा या अस्थमा है। इसलिए प्रत्येक दमा या अस्थमा (Asthma) के रोगी में एक जैसे नहीं होते हैं। यदि आपको कोई भी अस्थमा के लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें या घरेलू उपचारों को अपनाएं।
दमा या अस्थमा (Asthma ya Dama) के लक्षण निम्न है –
- सांस फूलना या सांस लेने में कठिनाई होना
- खांसी चलना (विशेष रूप से जब आप हँसते हैं या शाम के समय में)
- घबराहट या बेचैनी होना
- गले का शुष्क या अवरुद्ध होना
- सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना
- छाती में भारीपन या जकड़न होना
- जल्दी-जल्दी सांस या श्वास लेना
- कभी-कभी नाक का अवरुद्ध होना
- थकान का अनुभव होना
- सोने या नींद में कठिनाई होना
- सांस के साथ घरघराहट होना
- छाती में बलगम या कफ जमा होना
अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ विशेष लक्षण अनुभव होते हैं तो आपको तुरंत आयुर्वेदिक चिकित्सक (Ayurvedic chikitsak) से परामर्श लेना चाहिए अथवा डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
दमा के कारण (Causes of Asthma in Hindi)
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दमा (Asthma) होने के पीछे कई सारे कारण होते हैं। दमा या अस्थमा होने के लिए कोई एक कारण उत्तरदाई नहीं है अर्थात प्रत्येक व्यक्ति में दमा (Dama) होने के अलग-अलग कारण होते हैं। ये कारण दमा की गंभीरता और उसके उपचार के प्रति प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। आजकल बढ़ते वायु प्रदुषण के कारण भी दमा के रोगियों में वृद्धि हो रही है।
किसी भी व्यक्ति में अस्थमा होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
अनुवांशिक कारण (genetic cause)
अनुवांशिक कारणों से मतलब है कि वे कारण जो अनुवांशिक रूप से किसी अस्थमा के रोगी को प्राप्त हुए हो। इसमें जब किसी व्यक्ति के परिवार में कोई भी लोग जैसे उसके माता-पिता, भाई-बहन, काका-काकी, दादा-दादी आदि को यदि अस्थमा की बीमारी अर्थात साँस की बीमारी है तो वो बीमारी उस व्यक्ति में भी हो सकती है।
प्रदूषणीय कारक (polluting factor)
दमा या अस्थमा (Dama) होने के लिए तथा उसके विस्तार के लिए पर्यावरणीय कारक भी उत्तरदायी है जिनमें मुख्या रूप से वायु प्रदुषण प्रमुख है। वायु प्रदुषण के कारण गंभीर एलर्जी एवं अन्य प्रकार के पर्यावरण प्रदुषण के रासायनिक तत्त्व प्रमुख है। इसके अतिरिक्त वायु में उपस्थित धूल के कण, जानवरों के बाल या फफूंद जैसे कारकों के अत्यधिक संपर्क में आने से भी अस्थमा हो सकता है।
इसके अतिरिक्त अत्यधिक धूम्रपान व ट्रैफिक प्रदुषण अर्थात वाहनों का धुंआ और धूल के अधिक सम्पर्क में रहने से भी दमा (Asthma) के कारण हो सकते हैं। इसलिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए और ट्रैफिक या वाहनों के प्रदुषण से बचना चाहिए।
वायरल संक्रमण के कारण (due to viral infection)
अगर आप बचपन में गंभीर वायरल इन्फेक्शन से संक्रमित रहे हो तो ऐसी स्थिति में भी आपको अस्थमा या दमा (Dama) होने का खतरा हो सकता है।
कुछ प्रकार के वायरस जनित श्वसन संक्रमण दमा के जोखिम को बढ़ा सकते हैं विशेष रूप से जबक उनको बचपन में श्वसन सिन्सिशयल वायरस (respiratory syncytial virus) तथा राइनोवायरस (Rhinovirus) के रूप में ग्रहण किया गया हो। हालांकि कुछ अन्य प्रकार के संक्रमण जोखिम को कम कर सकते हैं।
कुछ रासायनिक पदार्थों के संपर्क में आने के कारण
कई बार कुछ रासायनिक पदार्थों के संपर्क में आने के कारण भी अस्थमा (Dama) की समस्या पैदा हो सकती है। कई बार घर में उपस्थित अस्थिर कार्बनिक यौगिक जैसे फॉर्मएल्डिहाइड के कारण भी अस्थमा (Asthma) की बीमारी हो सकती है।
इसके आलावा ऐंडोटॉक्सिन (Endotoxins) तथा पीवीसी (PVC) में उपस्थित फैथलेट्स (Phthalates) बच्चों तथा वयस्कों में होने वाले अस्थमा या दमा के लिए जिम्मेदार है।
बचपन की इम्यूनिटी कमजोर होना
जब कुछ लोग बचपन में बैक्टीरिया के संपर्क में कम आते हैं तो उनकी प्रतिरक्षा बचपन में कमजोर होती है। जिसके कारण उनके शरीर में दमा या अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है। इसलिए उन्हें दमा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इन सभी के आलावा कई लोगों में ये निम्न कारण भी हो सकते हैं –
- धूम्रपान
- अनुवांशिकता
- घर का अधिक धूल भरा वातावरण
- सर्दी-जुकाम, साइनोसाइटिस, ब्रोंकाइटिस व फ्लू का अत्यधिक संक्रमण
- पालतू जानवर के अधिक संपर्क में रहने से
- अधिक वायु प्रदुषण
- किसी भी व्यक्ति विशेष के खाद्य पदार्थों से एलर्जी
- सुगन्धित सौंदर्य प्रसाधन का अधिक प्रयोग
- शराब एवं अन्य मादक पदार्थों का सेवन
- विशिष्ट प्रकार की दवाओं का सेवन
- स्त्रियों में हार्मोनल बदलाव के कारण
- अधिक मात्रा में जंक फ़ूड और प्रोसेस्ड फ़ूड का सेवन
- अधिक नमक के सेवन से
- अधिक तनाव अथवा भय या डर के कारण
दमा के प्रकार (Types of Asthma in Hindi)
Asthma ke prakar in hindi asthma ke types in hindi
प्रत्येक व्यक्ति में अस्थमा या दमा एक प्रकार का नहीं होता है बल्कि अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग प्रकार का दमा (Asthma) होता है। इसलिए दमा के प्रकारों को भी जानना आवश्यक है। अस्थमा या दमा के निम्नलिखित प्रकार होते हैं –
- एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma) – इस प्रकार का अस्थमा ता दमा किसी विशिष्ट प्रकार की वस्तु या चीज की एलर्जी से होता है। उदहारण के लिए मिट्टी या धूल, इसके संपर्क में आते ही साँस फूलने लगती है।
- नॉन एलर्जिक अस्थमा (Non Allergic Asthma) – इस प्रकार के दमा में व्यक्ति को बिना एलर्जी की वस्तुओं के कारण साँस की बीमारी या अस्थमा की बीमारी होती है। उदहारण के लिए तनाव या भय
- ऑक्यूपेशनल अस्थमा या व्यावसायिक दमा (Occupational Asthma) – इस प्रकार का अस्थमा (Asthma) उद्दोगों या कारखानों में काम करने वाले लोगों को होता है।
- मौसमी या सिजनल अस्थमा (Seasonal Asthma) – इस प्रकार का दमा (Dama) किसी खास मौसम में होता है
- बारहमासी दमा अस्थमा (Perennial Asthma)
- कफ वेरियंट अस्थमा (Cough variant asthma)
- व्यायाम-प्रेरित अस्थमा (exercise-induced asthma)
- एस्पिरिन प्रेरित अस्थमा (aspirin induced asthma)
- निशाचर अस्थमा (Nocturnal asthma)
दमा से बचाव (Prevention of Asthma in Hindi)
Asthma se bachav ke upay अस्थमा से बचने के उपाय dama se bachne ke upay
अस्थमा होने पर अपना उपचार तुरंत करवा लेना चाहिए। इसके साथ ही दमा के कारणों को जानकर उनसे भी बचना चाहिए तभी अस्थमा (Dama) ठीक हो सकेगा। इसके अतिरिक्त दमा से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए –
- ठण्ड व ठन्डे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
- धूम्रपान नहीं करना चाहिए और यदि कोई और कर रहा है तो उससे दूर रहें
- ऐसा श्रम या कार्य न करें जिससे साँस फूलने लगे
- अधिक थकान वाला कार्य न करें
- बारिश और ठन्डे मौसम से बचें। बारिश में नमी के कारण संक्रमण का खतरा अधिक रहता है
- धूल भरे वातावरण से बचना चाहिए
- घर से बहार निकलने पर और प्रदूषित वातावरण में जाने पर मुंह पर मास्क अवश्य लगाएं
- रसायनों एवं गंध से बचना चाहिए
- सर्दी के मौसम में धुंध से बचें
- कीटनाशक, ताज़ा पेंट, अगरबत्ती, स्प्रे, मच्छर भगाने का कॉइल का धुआँ और खुशबूदार इत्र से जितना संभव हो सके उनसे बचना चाहिए।
इन सभी बातों के अतिरिक्त अपने आहार और जीवनशैली में परिवर्तन करने से दमा के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
दमा का परीक्षण (Diagnosis of Asthma in Hindi)
Asthma ka parikshan kya hai dama ka nidan kya hai अस्थमा की जांच कैसे होती है?
दमा का निदान करने के लिए कई प्रकार के अलग-अलग टेस्ट किये जाते हैं। इन परीक्षणों में शारीरिक परिक्षण व फेफड़ों के परिक्षण सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त दमा की जाँच के लिए कई सारे अलग-अलग टेस्ट किये जा सकते हैं। ये टेस्ट निम्नलिखित है –
शारीरिक परिक्षण (physical examination)
इस परिक्षण के अंतर्गत दमा के निदान एवं श्वशन संक्रमण के सम्बन्ध चिकित्सक आपका सामान्य परिक्षण करने के लिए आपसे आपके लक्षणों और रोग के संकेतों से सम्बंधित कुछ प्रश्न पूंछ सकते हैं।
फेफड़ों के लिए परिक्षण
आपके फेफड़ों के कार्यों या कार्यक्षमता की जाँच करने के लिए टेस्ट किये जाते हैं। इससे यह पता लगाया जाता है कि आपके फेफड़ों में साँस के दौरान कितनी हवा प्रवाहित होती है। ये टेस्ट निम्न है –
पीक फलो टेस्ट (Peak Flow Test in Hindi)
इस टेस्ट में एक सामान्य मीटर होता है। यह मीटर यह जाँच करता है कि आप कितनी तेजी से साँस ले सकते हैं। सामान्य रूप से पीक फ्लो रीडिंग यह बताती है कि आपके लंग्स ठीक से कार्य कर रहे हैं या नहीं। अगर पीक फ्लो टेस्ट की रीडिंग में फेफड़े ठीक से कार्य नहीं कर रहे हैं तो चिकित्सक उस रीडिंग को सामान्य स्तर पर लाने का प्रयास करते हैं।
स्पिरोमेट्री परीक्षण या पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (Spirometry Test or Pulmonary Function Test in Hindi)
इस टेस्ट की सहायता से आपके फेफड़ों और साँस से सम्बंधित बिमारियों की जाँच की जाती है। इसमें लम्बी साँस के दौरान यह देखा जाता है कि आप कितनी तेजी से साँस ले सकते हैं और छोड़ सकते हैं। इसके साथ ही यह भी पता चल जाता है कि फेफड़े की कार्यक्षमता कितनी है और ब्रोन्कियल ट्यूबों के संकुचन का अनुमान लगाया जाता है।
अन्य परिक्षण (Others tests for Asthma in Hindi)
दमा के निदान के लिए और भी टेस्ट होते हैं जो निम्नलिखित है –
नाइट्रिक ऑक्साइड टेस्ट (Nitric Oxide Test in Hindi)
जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि इस टेस्ट के अंतर्गत रोगी की साँस में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा नापी जाती है। अगर नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा साँस में सामान्य स्तर से अधिक होती है तो रोगी के नाक का वायुमार्ग संक्रमित है जो कि दमा (Asthma) के संकेत हो सकते हैं।
मेथाकोलिन चुनौती परीक्षण (Methacholine challenge test in Hindi)
मेथाकोलिन को दमा (Dama in Hindi) के प्रमुख कारणों में गिना जाता है क्यूंकि यह नासिका या नाक के वायुमार्ग को संकुचित कर देता है। यदि रोगी का शरीर मेथाकोलीन पर प्रतिक्रिया देता है तो आपको अस्थमा होने की संभावना हो सकती है। अगर रोगी के फेफड़ों का प्रारंभिक टेस्ट सामान्य रहता है तो भी यह परिक्षण किया जा सकता है।
एलर्जी टेस्टिंग (Allergy Testing in Hindi)
इस परिक्षण के अंतर्गत रोगी को किस चीज से एलर्जी है जैसे कि पालतू जानवरों से एलर्जी, धूल, मोल्ड या पोलन आदि से होने वाली एलर्जी की जांच करना। इसके लिए आपके रक्त की जाँच और त्वचा की जाँच की जाती है।
इमेजिंग टेस्ट (Imaging Test in Hindi)
इस टेस्ट के अंतर्गत एक्स-रे और सीटी स्कैन जैसे टेस्ट आते हैं जिनकी सहायता से आपकी छाती और श्वशन तंत्र की एक हाई-रेजोल्यूशन इमेज तैयार करके किसी भी प्रकार की संरचनात्मक असामान्यताओं या रोगों की पहचान की जा सकती है।
स्प्यूटम इयोसिनोफिल्स (Sputum eosinophils test in Hindi)
यह एक ऐसा टेस्ट होता है जिसमें रोगी की खांसी के दौरान थूंक (Sputum) और लार में सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की जाँच की जाती है। यदि लार और थूक के मिश्रण में श्वेत रक्त कणिकाएं उपस्थित रहती है तो रोगी को दमा (Asthma) होने की सम्भावना होती हैI
उत्तेजक परीक्षण (Provocative Test for Asthma in Hindi)
इस परिक्षण में कोई फुर्तिली शारीरिक गतिविधी करने से पहले और बाद में चिकित्सक आपके वयुमार्ग की रुकावटों को नापकर उनकी जांच करते हैं। इसके अलावा ठंडी हवा में सांस लेने से पहले और बाद में भी चिकित्सक अवरुद्ध वायुमार्ग की जांच कर सकते हैं।
दमा के घरेलू उपचार (Home remedies for Asthma in Hindi)
Dama ke gharelu upay asthma ke gharelu upay in hindi dama ka ilaaj kya hai dama ke ayurvedic upchar in hindi दमा के आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में दमा (Asthma) के कई प्रकार के उपायों का वर्णन किया गया है। जिनका प्रयोग करके आप दमा (Dama) से छुटकारा पा सकते हैं। दमा या अस्थमा के आयुर्वेदिक या घरेलू उपाय निम्नलिखित है –
मैथी और अदरक का मिश्रण पियें

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एक लीटर पिने के पानी में तीन चम्मच मैथी डालकर लगभग 25 से 30 मिनट तक उबले तत्पश्चात तीन चम्मच अदरक के रस को उस पानी में डालकर छान लें। उसके बाद उस मिश्रण में दो चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर ठीक प्रकार से हिलाएं। प्रतिदिन सुबह दमा के यह मिश्रण पिलायें दमा या अस्थमा में लाभ मिलेगा।
लहसुन वाला दूध पियें

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आयुर्वेद में लहसुन वाले दूध को पीने के बहुत सारे लाभ बताये गए हैं जिनमें से एक है दमा। दमा या अस्थमा को ठीक करने के लिए रोज लहसुन वाला दूध पीना चाहिए। इसके लिए एक गिलास दूध में 6 से 7 लहसुन की कलियाँ उबालें और प्रतिदिन इसका सेवन करने से दमा (Asthma) ठीक हो जाता है।
अदरक और शहद का मिश्रण का सेवन करें
शहद और अदरक के मिश्रण के फायदे भी आयुर्वेद में कई सारे बताये गए हैं। इनका पारम्परिक संयोजन भी अस्थमा और खांसी के लिए लाभदायक है। इस मिश्रण के सेवन से फेफड़ों में हवा के प्रवाह में लाभ मिलता है तथा ठन्डे मौसम में गले को शांत कर ठण्ड और खांसी का इलाज करता है। इसके अतिरिक्त आप अदरक और शहद के मिश्रण में काली मिर्च भी मिला सकते हैं।
आंवले और शहद का सेवन करें

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आयुर्वेद में आंवले और शहद के मिश्रण के बहुत सारे लाभ बताये गए हैं। यह मिश्रण अस्थमा (Dama ka ilaj) के लिए भी फायदेमंद हैं। आंवला श्वशन तंत्र को ठीक रखता है और खांसी में भी लाभदायक होता है। इसके लिए आप प्रतिदिन आंवले के रस या पिसे हुए आंवले में शहद मिलाकर सेवन करें। यह दमा के लिए लाभ पहुंचता है।
हल्दी वाला दूध पियें
हल्दी में बहुत सारे आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं। इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। हल्दी वाले दूध के सेवन से भी बहुत से रोग ठीक होते हैं। प्रतिदिन रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीने से दमा (Asthma) और श्वशन तंत्र से सम्बंधित सभी रोग ठीक होते हैं।
हींग का उपाय दमा में लाभकारी
दमा और श्वशन तंत्र से सम्बंधित रोगो को ठीक करने के लिए हींग पारम्परिक रूप से लाभदायक है। यह छाती से कफ को निकालकर छाती को खोलने में मदद करता है तथा यह श्वशन उत्तेजक के रूप में कार्य करता है और शर्दी व खांसी को भी ठीक करता है। अस्थमा को ठीक करने के लिए हींग को अदरक और शहद के साथ मिलाकर इसके मिश्रण को प्रतिदिन सेवन करें।
तुलसी से होगा दमा का इलाज
तुलसी के पत्ते प्राकृतिक ब्रोन्कोडायलेटर (natural bronchodilator) के रूप में कार्य करते हैं। ये श्वसन समस्याओं के लिए एक बहुत ही अच्छा घरेलू उपाय हैं। तुलसी के पत्ते फेफड़ों से हवा के प्रवाह को सुधारते हैं और ब्रोंकाइटिस से बलगम को भी निकालने में भी मदद करता है।
दो चम्मच तुलसी के रस में दो चम्मच करेले का रस और दो चम्मच शुद्ध शहद मिलाएं और प्रतिदिन रात को सोने से पहले सेवन करें। इससे दमा ठीक होता है। इसके अतिरिक्त रोज सुबह तुलसी के पत्ते चबाने से भी दमा (Asthma ka ilaj in hindi) दूर होता है और खांसी भी ठीक होती है।
सरसों के तेल और कपूर से ठीक करें दमा
गर्म कपूर और सरसों के तेल से छाती पर मालिश करने से साँस लेने में लाभ मिलता है और सरसों के तेल को कपूर के साथ में छाती और उसके ऊपरी भाग में मालिश करने से भी कंजेस्टेड फेफड़ों (congested lungs) में राहत मिलती है। दमा के दौरे (asthma attacks) के समय ये उपाय बहुत लाभकारी होता है।
अंजीर से ठीक करें अस्थमा
अंजीर के फल बलगम को छाती में जमने से रोकते हैं और इसके सूखे फल अस्थमा या दमा को ठीक करने के लिए भी बहुत लाभदायक होते हैं इसके लिए सूखे अंजीर को पूरी रात भर गर्म पानी के साथ भिगोकर रखें और सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे श्वशन नलिका में जमा हुआ मवाद या बलगम ढीला होकर निकालने लगता है।
इससे संक्रमण भी नहीं होता है और दमा का उपचार (Asthma treatment in hindi) भी होता है। अच्छे परिणाम के लिए जिस पानी में अंजीर भिगोया है वो पानी भी पी लें।
बड़ी इलायची से दूर करें दमा
बलगम को दूर करने के लिए बड़ी इलायची लाभकारी होती है। इसमें कफ नाशक गुण पाया जाता है। कफ की मात्रा में कमी होने पर दमा के लक्षणों में भी कमी आने लगती है। इसलिए अपने आहार में बड़ी इलायची को भी किसी न किसी रूप में शामिल करना चाहिए।
पिप्पली से करें दमा का उपचार
श्वशन विकारों के इलाज (Asthma ka gharelu ilaj in hindi) के लिए पिप्पली आयुर्वेद (Ayurved) में बहुत प्रसिद्द है। यह बंद छाती को खोलने में सहायता करती है और क्रोनिक अस्थमा (Chronik asthma) में भी बहुत उपयोगी होती है। इसके अतिरिक्त यह ठण्ड में सर्दी और खांसी को भी ठीक करने का कार्य करती है।
एक चौथाई चम्मच पिप्पली के पावडर को शहद के साथ मिलाकर प्रतिदिन दिन में दो बार सेवन करें। गर्भावस्था में पिप्पली का सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही करना चाहिए क्यूंकि यह गर्म होने के कारण पेट के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
लैवेंडर का तेल दूर करेगा अस्थमा
अस्थमा (Dama ka ilaj in hindi) के लक्षणों को कम करने के लिए लैवेंडर का तेल (lavender oil) बहुत उपयोगी होता है। लेवेंडर आयल में पाया जाने वाला शोथहर और एंटी एलर्जिक गुण दमा के लक्षणों को दूर करने का कार्य करता है। इसका उपयोग करने के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक (ayurvedic treatment of asthma in hindi) से संपर्क करें।
कच्चा प्याज खाएं दमा में
दमा के उपचार (dama ke gharelu upay) के लिए कच्चा प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है। इसमें उपस्थित सल्फर फेफड़ों से सम्बंधित समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है और फेफड़ों की जलन को भी ठीक करता है। प्रतिदिन कच्चा प्याज खाने से अस्थमा के लक्षण ठीक होने लगते हैं और अस्थमा का इलाज (Asthma ke ayurvedic ilaj) होने लगता है।
करेला खाएं दमा भगाएं
दमा का उपचार करने के लिए करेला भी लाभदायक होता है। इसके लिए करेला का एक चम्मच पेस्ट को एक चम्मच शहद और तुलसी के पेस्ट के साथ मिलाकर प्रतिदिन खाएं। ऐसा करने से दमा या अस्थमा को जड़ से भी (Dama ka jad se ilaj) किया जा सकता है।
अजवाइन से होता है दमा का इलाज
अस्थमा का इलाज करने का सबसे सरल उपाय है अजवाइन। अजवाइन का प्रयोग दमा को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। अगर प्रतिदिन इसका इस्तेमाल करते हैं तो अस्थमा को जड़ से मिटाया जा सकता है। दमा या अस्थमा को ठीक करने के लिए आप पानी में अजवाइन डालकर उबालें और प्रतिदिन उस पानी से भाप लें।
तेजपत्ता के सेवन से ठीक होगा अस्थमा
तेजपत्ता भी अस्थमा को ठीक करने के काम आता है। इसके लिए तेजपत्ता और पीपल के तीन तीन पत्ते को पीसकर मुरब्बे की चाशनी के साथ सेवन करें। प्रतिदिन इसका सेवन करने से अस्थमा ठीक होने लगता है। अधिक लाभ के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
सहजन का सेवन करे दमा में
दमा के उपचार (Dama ke gharelu upay in hindi) के लिए सहजन भी लाभदायक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सहजन कफ को ख़तम करने का गुण पाया जाता है। इसलिए अस्थमा में भी इसका प्रयोग किया जाता है। जिन लोगों को दमा या अस्थमा की शिकायत रहती है उनको अपने आहार में सहजन को shamil करना चाहिए।
दमा का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic treatment of Asthma in Hindi)
आयुर्वेद में दमा के उपचार के लिए अनेकों उपाय वर्णित हैं। इसे आयुर्वेद में तमक श्वास कहा जाता है जो दूषित कफ से उत्पन्न होने वाला विकार है। यह रोग कफ के अमाशय द्वारा श्वास नली और फेफड़ों में आने के कारण उत्पन्न होता है। आयुर्वेद में अस्थमा या तमक श्वास का इलाज करने के लिए इसमें कफ को चिकित्सा द्वारा आमाशय में लाया जाता है और बहार निकला जाता है।
दमा के उपचार के लिए आयुर्वेद में निम्नलिखित औषधियां उपलब्ध है जिनका प्रयोग करने के लिए आप आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं-
- कंटकारी अवलेह
- वासावलेह
- सितोपलादि चूर्ण
- कनकासव
- अगस्त्यहरीतकी अवलेह
- मुलेठी
- पुष्करमूल
- च्यवनप्राश आदि
दमा के उपचार के समय आहार (Diet in Asthma in Hindi)
दमा (Asthma ka treatment in Hindi) का इलाज करने के दौरान रोगी को को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित आहार योजना को अपनाना चाहिए –
दमा में क्या खाना चाहिए (What to eat in Asthma in Hindi)
- दमा (Asthma) के दौरान रोगी को हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- हल्दी, अदरक, कालीमिर्च और लहसुन में अस्थमा को ठीक करने का गुण पाया जाता है। इसलिए इनको अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
- गेहूं, जौ, चावल, कुल्थी, मूंग एवं पटोल का सेवन करना चाहिए।
- शहद एवं च्यवनप्रास का सेवन करें
- ठंड के दिनों में अधिक मात्रा में गर्म पानी का सेवन करना चाहिए
दमा में क्या नहीं खाना चाहिए (What not to eat in Asthma in Hindi)
- अधिक ठंडी एवं मीठी वस्तुओं का सेवन नहीं करें जैसे – दही, गुलाबजामुन आदि
- कोल्डड्रिंक, ठंडा जल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
- मछली एवं अन्य मांस वाली चीजों को नहीं खाना चाहिए
- पिज्जा, बर्गर जैसी बाहरी चीजों एवं तला हुआ भोजन नहीं खाना चाहिए
- अधिक तेलयुक्त पदार्थों का सेवन न करें
- अस्थमा के रोगियों को अधिक प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट एवं अधिक वसा युक्त पदार्थों का सेवन भी कम करना चाहिए
दमा में रोगी की जीवनशैली (Lifestyle in Asthma in Hindi)
दमा या अस्थमा के मरीज की जीवनशैली निम्न प्रकार की होनी चाहिए –
- प्रतिदिन नियमित रूप से योग एवं प्राणायाम करना चाहिए
- अस्थमा के मरीज को ठन्डे एवं नमीयुक्त वातावरण में नहीं रहना चाहिए
- प्रिजरवेटिव युक्त पदार्थों एवं ठन्डे पदार्थों का सेवन न करें
- अत्यधिक शारीरिक व्यायाम नहीं करना चाहिए
- योगासन करने से भी दमा या साँस की बीमारी (sans ki bimari ka ilaj) ठीक होती है।